बिना मस्ती जीवन सुना
यह महज एक कहावत ही नहीं है बल्कि असल जीवन मे इसका बहुत महत्व है इंसान जब खुश होता है तो इंद्रियां पूर्ण रूप से कार्य करती है। ऐसे ही मस्ती भरे वातावरण को बनाने के लिये हम अपने बच्चों के साथ समय समय स्कूल में प्रयोगशालाओं की रूपरेखा तैयार करते है। बीते दो दिन पहले कक्षा दो और तीन के बच्चों को प्रधानाचार्या के दिशा निर्देश अनुसार टास्क दिया गया जिसमें बच्चों से कहा गया कि वह अपने दादी ,दादा या नानी ,नाना नही तो अपने माता, पिता से कोई कहानी सुनकर आएंगे और उसको अपनी कक्षा में सभी छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे, मै बच्चों के उत्साह की शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता हूँ , कि किस कदर बच्चे खुश थे कि कल हम अपने अभिभावकों से कोई नई कहानी सुनकर आएंगे और उसको पूरी क्लास के सामने प्रस्तुत करेंगे । इन बच्चों के चहरे पे जो तेज़ था मैं उसको साफ साफ देख पा रहा था और अगले दिन बच्चों ने कक्षा में अलग अलग कहानिया सुनाई जब वह कहानी सुना रहे थे तो उनके अंदर मुझको एक अलग ही प्रकार का आत्म विश्वास दिख रहा था । ऐसे प्रयोग की क्या आवश्यकता इसका जवाब बेहद भावनात्मक है। आधुनिक युग मे हम सभी बड़े बड़े मोबाईल का घंटो इस्तेमाल करते है समय का एक बड़ा वक़्त आज के इस मोबाइल युग मे चला जाता है यह बेहद घातक है पारिवारिक दृष्टिकोण से एक समय वह भी था जब हमको कोई भी जानकारी या अनुभव प्रारत करने के लिए अपने परिवार के किसी बड़े सदस्य के साथ वक़्त बिताना पड़ता था घंटो हमारे बड़े हमको अपने अनुभवों को हमसे साझा किया करते थे तब कहीं जाकर हम अपने जीवन मे आने वाली चुनोतियों को संभाल पाते है । पर आज के इस युग मे हम ज़्यादा वक़्त मोबाइल पे बिता देते है अपने बच्चों और परिवार से हमारा संवाद कम हुआ है ।
इस वजह से हमने ऐसे प्रयोग किये ताकि बच्चे अपने बड़ो के साथ वक़्त बिताये अपने बड़ो के अनुभव को उनके पास बैठ कर सुने उनसे सीखे अपने बड़ो के लिये बच्चो में सम्मान पैदा हो मोबाइल युग से थोड़ा दूर रह सकें हमको भली भांति मालूम है कि यह न काफी है पर ऐसे छोटे छोटे प्रयासों से हम और आप अपने बच्चों में बदलाव ला सकते है इसका मुझे पूर्ण विश्वास है।
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