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बिना मस्ती जीवन सुना

 यह महज  एक कहावत ही नहीं है बल्कि असल जीवन मे इसका बहुत महत्व है इंसान जब खुश होता है तो इंद्रियां पूर्ण रूप से कार्य करती है। ऐसे ही मस्ती भरे वातावरण को बनाने के लिये हम अपने बच्चों के साथ समय समय स्कूल में प्रयोगशालाओं की रूपरेखा तैयार करते है। बीते दो दिन पहले कक्षा दो और तीन के बच्चों को प्रधानाचार्या के दिशा निर्देश अनुसार टास्क दिया गया जिसमें बच्चों से कहा गया कि वह अपने दादी ,दादा या नानी ,नाना नही तो अपने माता, पिता से कोई कहानी सुनकर आएंगे और उसको अपनी कक्षा में सभी छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे, मै बच्चों के उत्साह की शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता हूँ , कि किस कदर बच्चे खुश थे कि कल हम अपने अभिभावकों से कोई नई कहानी सुनकर आएंगे और उसको पूरी क्लास के सामने प्रस्तुत करेंगे । इन बच्चों के चहरे पे जो तेज़ था मैं उसको साफ साफ देख पा रहा था और अगले दिन बच्चों ने कक्षा में अलग अलग कहानिया सुनाई जब वह कहानी सुना रहे थे तो उनके अंदर मुझको एक अलग ही प्रकार का आत्म विश्वास दिख रहा था । ऐसे प्रयोग की क्या आवश्यकता इसका जवाब बेहद भावनात्मक है। आधुनिक युग मे हम सभी बड़े बड़े म...